मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने आज राष्ट्रीय पुरातात्विक संगोष्ठी मे सिली-पचराही से जुड़ी अपनी यादों को पुरातत्वविदों से साझा करते हुए कहा कि पचराही का आकर्षण उन्हे बचपन से रहा है।
कवर्धा,23 फरवरी(36गढ़ डाट इन) मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने आज राष्ट्रीय पुरातात्विक संगोष्ठी मे सिली-पचराही से जुड़ी अपनी यादों को पुरातत्वविदों से साझा करते हुए कहा कि पचराही का आकर्षण उन्हे बचपन से रहा है।
अस्सी के दशक मे जब वे पचराही के भ्रमण पर आया करते थे तो यहां के बड़े-बुजुर्ग अक्सर बताया करते थे कि यहां कि मिटटी मे देवी-देवताओं की मूर्ति दबी हुई है।
मुख्यमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि लगातार दो वर्षों से जारी पुरातात्विक उत्खनन के बाद पचराही की धरती स्वयं अपने गौरवशाली इतिहास की गाथा कह रही है।
उन्होने कहा कि पचराही की परत दर परत खुदाई से प्राचीन काल मे छत्तीसगढ़ की वैभवशाली कला, संस्कृति व अर्थव्यवस्था के पुख्ता प्रमाण सामने आये हैं।
पचराही के उत्खनन से मिले कल्चुरी, फणिनागवंशियों के शासनकाल के सिक्के व पुरावशेष शोधार्थियों को अध्ययन व अनुसंधान की नई दिशा दिखा रहा है।
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि मैकल पहाड़ियों के बीच स्थित पचराही के भ्रमण के दौरान यहां के गौरवशाली इतिहास की जो कल्पना हमारे मन मे थी आज वह पचराही की धरती पर साक्षात दिख रही है।
मुख्यमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि अविभाजित मध्यप्रदेश के विधानसभा मे उन्होने पचराही के पुरातात्विक उत्खनन कराने की जो पहल शुरू की थी वह उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद पूरा हो रहा है।
डॉ. रमन सिंह ने कहा कि पचराही को राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर लाने पुरातत्व विदों के सगोष्ठी से निकले निष्कर्षों के आधार पर योजनाबध्द तरीके से कार्य किया जायेगा।
उन्होने इस यादगार मौके पर भूमिपूजन कर विशाल पुरातात्विक संग्रहालय के निर्माण की बुनियाद रखी। उन्होने कहा कि संग्रहालय शोधार्थियों,इतिहासकारों को जानकारी प्रदान करने व स्थानीय लोगों को अपनी प्राचीन संस्कृति से अवगत होने मे संग्रहालय मददगार साबित होगा।
इस मौके पर छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष श्री धरमलाल कौशिक ने कहा कि छत्तीसगढ़ खनिज संपदा व वन संपदा के साथ ही पुरा संपदा की दृष्टि से भी समृध्द है।
पचराही, ताला व सिरपुर की खुदाई से छत्तीसगढ़ के इतिहास, कला व संस्कृति व जनजीवन की कीर्ति पूरे देश मे फैल रही है।
संस्कृति व पुरातत्व विभाग के आयुक्त श्री राजीव श्रीवास्तव ने संगोष्ठी के आयोजन पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होने कहा कि 1880 मे अलेक्जेंडर कनिंघम ने पचराही की पहचान कंकाली टीला के रूप मे की थी उसके उत्खनन का कार्य राय शासन के प्रयासों से हुआ है।
उन्होने कहा कि पचराही के उत्खनन का कार्य फरवरी 2008 मे शुरू हुआ। डेढ़ साल के उत्खनन से विश्व स्तर पर पचराही की पहचान कायम हो गई है। उन्होने कहा कि पचराही के बारे मे संस्कृति विभाग द्वारा यादा से यादा प्रचार का कार्य किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री की गरिमामयी उपस्थिति में मां सरस्वती के तैलचित्र के समक्ष दीप प्रवलन के बाद छत्तीसगढ़ के पुरातत्व,नवीन उत्खनन व अनुसंधान विषय पर तीन दिवसीय संगोष्ठी का समापन कार्यक्रम संपन्न हुआ।
कलेक्टर आर. संगीता ने इस अवसर पर अतिथियों व पुरातत्वविदों का आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर सर्वश्री विष्णु सिंह ठाकुर, डॉ. रमेंद्र मिश्रा, आनंद सिंह, प्रेमचंद श्री श्रीमाल, विनोद बैस, नगरपालिका अध्यक्ष अनिल ठाकुर, जिला पंचायत उपाध्यक्ष बिदेशी राम धुर्वे, जिला पंचायत सदस्य रघुराज सिंह, बोड़ला जनपद अध्यक्ष अमीषा चंद्रवंशी ।
संतोष पांडे हार्वर्ड विश्वविद्यालय के डॉ. प्रमोद चंद्र, डॉ बिन्दुजी महराज, पुरातत्व जीवाश्मशास्त्री डॉ.जी.एल.बादाम, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण्ा विभाग के डॉ. प्रवीण मिश्रा, के. के. झा, मानव शास्त्री डॉ. अरूण कुमार, डॉ.ए.एल श्रीवास्तव, लालजी चंद्रवंशी, मधु तिवारी, वीणा देसाई, तारा मरकाम, रघुनंदन पाठक, विजय शर्मा, राकेश पांडे समेत पुरातत्वविद जनप्रतिनिधि व स्थानीय नागरिक उपस्थित थे।
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