किसी भी प्रकार की शारीरिक और मानसिक नि:शक्तता व्यक्ति की योग्यता
को एक सीमित दायरे में बांध देता है पर जब ऐसा व्यक्ति परिस्थितियों को चुनौती देते हुए आगे बढ़ जाता है, तब वह
समाज के लिए प्रेरणा बन जाता है।
रायपुर,9 अगस्त(36गढ़ डाट इन) किसी भी प्रकार की शारीरिक और मानसिक नि:शक्तता व्यक्ति की योग्यता को एक सीमित दायरे में बांध देता है पर जब ऐसा व्यक्ति परिस्थितियों को चुनौती देते हुए आगे बढ़ जाता है, तब वह समाज के लिए प्रेरणा बन जाता है।
छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के विकासखण्ड छुरिया की रहने वाली पोलियो ग्रस्त 28 वर्षीय कुमारी जानकी कंवर
ने भी जीवन की चुनौतियों को स्वीकार करते हुए आज एक सम्मानजनक मुकाम हासिल कर लिया है।
कुमारी जानकी ने अपनी काबिलियत को साबित करने और परिवार को आर्थिक संबल प्रदान करने के उद्देश्य से किराना दुकान खोलने के लिए छत्तीसगढ़ नि:शक्तजन वित्त और विकास निगम से 50 हजार रूपए का ऋण् लिया।
इस ऋण राशि से जानकी ने किराना दुकान प्रारंभ की और अब वह इसका संचालन सफलतापूर्वक कर रही है। इस दुकान से उसे प्रतिदिन लगभग 400 से 500 रूपए की आमदनी होती है।
कुमारी जानकी अपने परिवार में तीन बहनों में सबसे बड़ी है और पोलियों की वजह से चल नहीं पाती। उस पर विडम्बना
यह कि परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण वह पांचवी कक्षा के बाद आगे की पढ़ाई भी नहीं कर सकी।
पढ़ाई जारी नहीं रख पाने का उसे आज भी मलाल है। उसके माता-पिता भी परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति और
अपनी तीनों बेटियों के भविष्य को लेकर हमेशा चिंतित रहते थे।
परिवार में सबसे बड़ी संतान होने के कारण जानकी को भी यह बात सताने लगी कि किस तरह वह परिवार को चलाने
में आर्थिक मदद करे।
साथ ही वह अपनी दोनों छोटी बहनों के विवाह के लिए भी अपने माता-पिता की सहायता करना चाहती थी।
आत्मनिर्भरता के लिए संघर्षरत जानकी को वर्ष 2009 में जब राज्य सरकार के समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत छत्तीसगढ़ नि:शक्तजन वित्त और विकास निगम द्वारा संचालित ऋण योजनाओं के बारे में जानकारी मिली, तब उसने किराना दुकान के लिए निगम से 50 हजार रूपए का ऋण लिया था।
इन रूपयों और माता-पिता के सहयोग से उसने किराना दुकान शुरू किया और अब उसकी दुकान अच्छी तरह चलने
लगी है।
36गढ़ डाट इन