किसी भी गांव की समाजिक और आर्थिक बेहतरी की कल्पना अच्छी सड़कों के बिना संभव नहीं है। छत्तीसगढ़ की 80 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है।
रायपुर, 5 अप्रैल (36गढ़ डाट इन) किसी भी गांव की समाजिक और आर्थिक बेहतरी की कल्पना अच्छी सड़कों के बिना संभव नहीं है। छत्तीसगढ़ की 80 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है।
राज्य सरकार इन्हें बेहतर अवसर प्रदान कर उन्नति की मुख्यधारा से जोड़ने कृतसंकल्पित है।
केन्द्र सरकार द्वारा 25 दिसम्बर 2000 को प्रारंभ की गई प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत सामान्य क्षेत्रों में 500 या इससे अधिक आबादी की सभी बिना जुड़ी बसाहटों को पक्की सड़कों से जोड़े जाने का लक्ष्य रखा गया है।
दूरस्थ और पिछड़े क्षेत्रों तक सड़कों का जाल विकास के नए रास्तों का पता देता है। इतिहास से लेकर वर्तमान तक यह सच है कि इन्हीं सड़कों से कई सभ्यताओं और संस्कृतियाें का आगमन हुआ है।
सड़कों के किनारे या इनसे जुड़ी जगहों पर ही हाट बाजार और विकास के नए केन्द्रों का प्रार्दुभाव हुआ है। अच्छी सड़कें एक ओर जहां लोगों का शेष दुनिया से सतत् सम्पर्क जोड़ती है, वहीं दूसरी ओर दुनिया के लोगों को अपनी सभ्यता, संस्कृति और विकास को परिचय कराने के लिए आमंत्रित भी करती है।
छत्तीसगढ़ के परिप्रेक्ष्य में सड़कों ने राज्य निर्माण के बाद से विकास की नई गाथा लिखना शुरू कर दिया है।
आदिवासी बाहुल्य, पुरातात्विक और ऐतिहासिक धरोहरो से युक्त, खनिजों से परिपूर्ण होने के साथ-साथ घने वनों और बेशुमार दर्शनीय पर्यटन स्थलों के गढ़ ‘छत्तीसगढ़’ को सड़कों ने ही थोड़े ही समय में विश्व के मानचित्र पर सशक्त रूप से स्थापित कर दिया है।
छत्तीसगढ़ में इस योजना के तहत 27 हजार 606 बसाहटें चिन्हित की गई है जिनमें से चार हजार 948 बसाहटें अर्थात 18 प्रतिशत योजना के प्रारंभ में बारहमासी सड़कों से जुड़ी हुई थी तथा 82 प्रतिशत अर्थात 22 हजार 658 बसाहटें बारहमासी सड़कों से जोड़ने के लिए शेष थी।
इन शेष बसाहटों में से एक हजार से अधिक आबादी बाली दो हजार 838 बसाहटें, पांच सौ से 999 तक आबादी वाली छह हजार 355 बसाहटें और आदिवासी विकासखण्डों में 250 से 499 तक की आबादी वाली बसाहटें प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत स्वीकृत कोर-नेटवर्क में शामिल की गई है।
इन बसाहटों को जोड़ने के लिए 41 हजार 770 किलोमीटर लम्बाई की सड़कों का निर्माण, उन्नयन और संधारण किया जाना है।
पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री श्री रामविचार नेताम ने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ में हो रहे अच्छे कार्य को देखते हुए राज्य को प्रतिवर्ष दी जाने वाली राशि 87 करोड़ रूपए से बढ़कार 535 करोड़ रूपए कर दिया है।
इस प्रकार अब तक छह हजार 480 करोड़ रूपए लागत की पांच हजार 320 सड़कों को स्वीकृति प्रदान की गई है, जिसकी लम्बाई 25 हजार 500 किलोमीटर है।
केन्द्र सरकार द्वारा राज्य में बिना जुड़ी बसाहटों की अधिकाधिक संख्या को देखते हुए एशियन विकास बैंक से ऋण लेकर इस कार्य के लिए अतिरिक्त राशि उपलब्ध करायी जा रही है।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत आठ चरणों में स्वीकृत 25 हजार 500 किलोमीटर लम्बाई की पांच हजार 320 सड़कों में से 15 हजार 678 किलोमीटर लम्बाई की तीन हजार 230 डामरीकृत सड़कें पूर्ण हो चुकी है और एक हजार 841 सड़कों का कार्य प्रगति पर है।
योजना के तहत फरवरी 2010 तक स्वीकृत राशि रूपए छह हजार 480 करोड़ रूपए के विरूध्द चार हजार 150 करोड़ रूपए खर्च किए जा चुके है, इससे राज्य की छह हजार 156 बसाहटें लाभान्वित हो चुकी है।
वित्तीय वर्ष 2008-09 में जहां 863 करोड़ रूपए खर्च कर दो हजार 427 किलोमीटर लम्बाई की 721 सड़कों के निर्माण कार्य पूर्ण किया गया है।
इस वित्तीय वर्ष में फरवरी 2010 तक दो हजार 860 किलोमीटर लम्बाई की 586 सड़कों का निर्माण कार्य पूर्ण किया जा चुका है।
विगत दो वर्षो में स्वीकृत कार्य की संख्या बढ़ने पर इस कमी को दूर करने के लिए सीधी भर्ती से भरे जाने वाले 24 सहायक अभियंता, 205 उप-अभियंता एवं 134 अन्य पद पर वित्त विभाग द्वारा नियमित नियुक्ति की अनुमति दी गई है।
योजना के तहत सड़कों के निर्माण कार्यो की उच्च स्तरीय गुणवत्ता के लिए त्रिस्तरीय गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली अपनाते हुए विश्व स्तरीय सलाहकारों से सेवाएं ली जा रही है।
प्रत्येक जिले में गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशाला स्थापित की गई है। इसके साथ ही 12 चलित गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशाला (मोबाइल वेन) भी स्थापित की गई है और 14 नवीन चलित प्रयोगशाला स्थापना का कार्य चल रहा है।
इससे समय-समय पर निर्माण सामग्री और किए गए कार्य की गुणवत्ता की जांच की जाती है।
इसके अतिरिक्त राज्य स्तर में गुणवत्ता नियंत्रण के लिए राज्य गुणवत्ता नियंत्रक पदस्थ किया गया है, जो सेवानिवृत्त इंजीनियरों (राज्य गुणवत्ता समीक्षकों) के माध्यम से प्रत्येक जिले में समय-समय पर सड़कों का निष्पक्ष निरीक्षण करवाकर प्रतिवेदन प्रस्तुत करते है।
केन्द्र सरकार भी अन्य राज्यों के सेवानिवृत्त अभियंताओं को समय-समय पर प्रत्येक जिले में भेजकर सड़कों का निरीक्षण कराया जाता है। उनके प्रतिवेदन के आधार पर सड़कों में आवश्यक सुधार कार्य किए जाते है।
राज्य स्तर पर सामान्य प्रशासन विभाग के अंतर्गत कार्यरत मुख्य तकनीकी परीक्षक (सतर्कता) भी समय-समय पर निर्माण कार्यो का निरीक्षण करते है।
गुणवत्ता की जांच की व्यवस्था को और अधिक चुस्त किया गया है तथा ऐसे ठेकेदार जिनके द्वारा समय पर उच्च गुणवत्ता की सड़कों का निर्माण नहीं किया गया जा रहा है अथवा निर्देश देने के बाद भी सुधार, संधारण कार्य नहीं किया गया है, उनके विरूध्द कड़ी कार्रवाई प्रारंभ की गई हैं। दोषी अधिकारियों, कर्मचारियों एवं सलाहकारों के विरूध्द भी कार्रवाई प्रारंभ की गई है।
प्रदेश में सड़कों को टिकाऊ और मजबूत बनाने के उद्देश्य से सड़क पूर्ण होने के पश्चात् अगले पांच वर्ष के संधारण का जिम्मा भी संबंधित ठेकेदार को सौंपा गया है, जिससे सड़क में किसी भी प्रकार की खराबी पाई जाने पर जहां ठेकेदार की जवाबदेही निश्चित की जा सकेगी, वहीं दूसरी ओर संधारण कार्य भी समय पर हो सकेगा।
जिन सड़कों में पांच वर्ष की संधारण अवधि पूर्ण हो चुकी है वहां पुन: अगले पांच वर्ष के लिए ठेकेदार की नियुक्ति की कार्रवाई भी की जा रही है।
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